बेवफा शायरी
ना मिलने की चाहत थी ना बिछड़ने का गम
अब तो हर खुशी पराई लगती है।
तुम देती हो पैगाम ए वफ़ा
मगर यह तकदीर हरजाई लगती है।।
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अब ना रहा वास्ता हमारा हुस्न की गलियों से
वर्षों हुए ये जिंदगी डूब गई पैमाने में।
चंद उसकी तस्वीरें पास हैं बस
शेष कुछ भी नहीं बचा अब इस गरीब खाने में।।
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प्यार करना ही गुनाह है जमाने में
जिसकी सजा मिलती है दिल लगाने के बाद।
मौत से पहले कफन मिल जाता है जिंदगी को ए दिलरुबा
मोहब्बत में धोखा खाने के बाद।।
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मलजूमों पे सितम ढाया जाता है
बेगुनाहों पर इल्जाम लगाया जाता है।
बदनाम हो जाती है वफा उस वक्त
जब सच्ची चाहत को कब्र में दफनाया जाता है।।
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प्यार मिटता नहीं किसी के मिटाने से
चंद बातें ऐसी भी हैं जो कभी भुलाई नहीं जाती।
मोहब्बत बेबस है जमाने के आगे
बस पहली मुलाकात किसी से भुलाई नहीं जाती।।
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अश्क पीकर मुस्कुराते जाते हैं
वो सितम पे सितम ढाए जाते हैं।
वो खून करते हैं हमारे अरमानों का
अर्थी चाहत की हम भी उठाए जाते हैं।।
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खुद चाहत को दफनाया हमने
अपने दिल से प्यार को मिटाया हमने।
तेरी खुशी के खातिर ए-संगदिल
शौला नफरत का भड़काया हमने।।
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याद शायरी
क्यों हम किसी के ख्यालों में खो जाते हैं
कुछ ही पल की दूरी…..
बेवफा शायरी
अश्कों से लिखता हूं दास्तान वफा की….
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